और नहीं कुछ को मिले, सब्जी रोटी दाल और नहीं कुछ को मिले, सब्जी रोटी दाल
कल को कल से मिलाती सूत्रधार है कविता। जगजीवन का अनुपम सार है कविता।। कल को कल से मिलाती सूत्रधार है कविता। जगजीवन का अनुपम सार है कविता।।