दोहे
दोहे
लेटा है उल्टा तवा, चूल्हा है निस्तेज
हर गरीब से है जुड़ी,बात सनसनीखेज1
मुँह बाए डिब्बे पड़े, सूनी दिखे परात
काबू में कैसे कहो, होंगे ये हालात2
आग भूख की पेट में, आँखों में है नीर
बोलो माँ कैसे सहे, निज बच्चों की पीर3
पानी पीकर पेट की, कभी न बुझती आग
मानवता पर बात ये, एक बदनुमा दाग4
कुछ को सदा नसीब हो, खाने को तर माल
और नहीं कुछ को मिले, सब्जी रोटी दाल।
