STORYMIRROR

डाॅ. बिपिन पाण्डेय

Classics

4  

डाॅ. बिपिन पाण्डेय

Classics

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना

1 min
242

लिखता रहूँ नित काव्य नूतन प्यार दे माँ शारदे।

मम लेखनी को भाव का उपहार दे माँ शारदे।।1


भावुक नहीं संवेदना से संबंध भी अपना नहीं,

पर काव्य लेखन का मुझे व्यवहार दे माँ शारदे।2


कंपित रहें सुन शब्द के हर नाद को पापी सदा,

वीणा सरिस ही कंठ को ,झंकार दे माँ शारदे।3


ममता दया करुणा सने जिनके हृदय में भाव हैं,

उनको कृपा कर प्रीति का संसार दे माँ शारदे।4


सब युग्म हों रसमय अलंकृत भाव से परिपूर्ण हों,

हर शब्द को सत्कृत्य सा विस्तार दे माँ शारदे।5


आवाज़ दुखियों की बने निस्वार्थ होकर लेखनी,

प्रेरक सुकोमल ज्ञानमय उद्गार दे माँ शारदे।6


हंसासना विद्या प्रदायिनि श्वेत पट तन धारिणी,

निर्वाण कामी दास को जग सार दो माँ शारदे।7


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics