प्यार की कली
प्यार की कली
प्यार की कली जो महकी मेरे बगिया में
वो नन्ही परी कितना चहकती मेरे अंगना में।
उसके राहों के हर काँटों को हटा देंगे
वो नन्हीं कली कितना मचलती मेरे सुने पल में।
उसके ख्वाबों को इंद्रधनुष बना देंगे
वो प्रेम की धुन का राग बजाती मेरी पलछिन में।
आसमाँ के उच्चाइयो की भरती उड़ान
वो चुपके से आकर बिखरती मेरी हर खुशियों में।
आत्मविश्वास से भरी वो प्यारी सी कली
मेरी रेहनुमाइ बनकर जन्नत का नशा देती मेरी ज़िन्दगी में।
