लड़कियों के अंदर की आवाज़
लड़कियों के अंदर की आवाज़
मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ
बेखौफ़ परिंदा हूँ
अपने मन का करना चाहती हूँ ।
मुझको कोई रोके नहीं
मुझको कोई टोके नहीं
मह्ताब हूँ पूरे जहॉ में बिखरना चाहती हूँ ।
समाज के विकृत विचारों से
लड़ना सीखा है, खुद को संभालना सीखा है
पलाश हूँ खुद में सिमटना चाहती हूँ ।
राह मिल जाये तो
काँटों पर भी चल पड़ती हूँ
अपने अंदर के जुनून को और तपाना चाहती हूँ।
कुछ अगर नहीं बोलती तो क्या हुआ
नहीं डरती हैवानियत के भेडियों से
उनको भी जवाब देना आता है
मेरी आजमाइश को उनको बताना चाहती हूँ।
समाज के हर तबके के लोगों को
अपने अंदर के शक्ति और मार्तत्व का बोध करवाना चाहती हूँ,
उनको अपने अंदर के ज्वाला से परिचय करवाना चाहती हूँ।
