सूखी पड़ी दिल की ज़मी
सूखी पड़ी दिल की ज़मी
सूखी पड़ी धरती
जैसे किसानों का दिल टूटा हो।
आजमाईश ले रहा ऊपरवाला
जैसे किस्मत ख़ुद से रूठा हो।
पानी को तरस रही धरा
जैसे सदियो से प्यासा कोई बैठा हो।
दिल की हालत नाज़ुक सी लगती
जैसे दरारों में से लहू निकलकर टपका हो।
सूखी पड़ी दिल की ज़मी
जैसे हॅसने की लिए कोई रोता हो।
