प्यार का मौसम पढ़ लेना
प्यार का मौसम पढ़ लेना
कभी मेरे दिल का आधार पढ़ लेना,
मेरे मन में उठता प्यार का मौसम पढ़ लेना।
जीवन पथ पर मेरे संग चलते हुए,
कभी राधाकृष्ण का प्रेम पढ़ लेना।
धड़कनों की व्यथा लिख नहीं सकती,
उनका सर्वस्व प्रणय निवेदन पढ़ लेना।
शब्दों की धारा में बहती व्याकरण को,
मेरी रचना का अविजित मन पढ़ लेना।
सुर सरगम के ताल पर चलती तान को,
मेरे अनोखे, अनकहे भाव की मृदुलता पढ़ लेना।
शान्ति से सागर के लहरों को सुनकर,
मेरे लिखें गजलों में घुँघरूओं की झंकार पढ़ लेना।
भोर के सुखद अनुभूति के आस द्वारा,
मन में उठने वाले भंवर के तरंग पढ़ लेना।
सूनेपन के विचारों में जो बंदिशें है,
उसे अंतर्मन में बसे संताप के भाव को पढ़ लेना।
प्यार के मौसम में दिल के पतवार संग,
ठहरे हुए पानी का रसखान पढ़ लेना।
हिमालय के शिलाखण्डों के जैसे भी,
तुम पर मेरा पूर्ण अधिकार पढ़ लेना।
