अनुभूति
अनुभूति
ढ़लती सूरज
की लालिमा को देख
जो अनुभूति होती है,
उसे शब्दों में सजाना
असंभव है, उसके
इर्द गिर्द घूमते
बादलों की अद्भुत
कलाकारी से मन
प्रफुल्लित हो उठता है,
सांझ दबे पांव,
भीनी खुशबू
और धीमा शोर
संग लाती है,
चिड़ियों की चहचहाहट,
बच्चों के खेल-कूद,
मंदिर की घंटी,
की अपनी एक
मधुर धुन होती है,
जो अंतर्मन को
पवित्र कर देती है,
मैं अक्सर सूर्यास्त
हूबहू फोन में क़ैद करने
की कोशिश करती हूं,
परंतु जो आंखें दिखाती हैं
वह कैमरा कहां उतार पाती है।