मन की केतली
मन की केतली
मन की केतली ने
मचा रखी है खलबली,
कौन सुने व्यथा
बीती बातों की है नली;
ऐसे तो हर कोई
यहां रिश्ता जताता है,
पर असल में कहां
सच्चाई से निभाता है;
प्रत्येक क्षण मैंने
कई वेदनाएं
संभाले रखा है,
अर्णवी केतली में
खुद को
मौन बनाए रखा है।