शक्ल दिखाने आए हो
शक्ल दिखाने आए हो
कई दफा तुम्हें मैं
बुलाती रही,
फ़ुरसत के कुछ पल
मांगती रही,
साथ लम्हें बिताने की
चाह में,
है वक्त कहां
ज़िन्दगी की राह में,
इस उधेड़-बुन में मेरी
आंख लग गई,
बेहिसाब कर इंतजार,
मैं थक गई,
और तुम अब आए हो,
साथ ढेरों सूची
काम के लाए हो,
तो क्या सोचूं
क्या समझूं मैं,
कि तुम यहां सिर्फ
शक्ल दिखाने आए हो।