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Snehil Thakur

Children Stories Classics Fantasy

4.2  

Snehil Thakur

Children Stories Classics Fantasy

करेले का स्वाद..

करेले का स्वाद..

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अभी कल की ही तो बात है

करेला देख मुँह बिचकाया करती थी,

चाहे जो कुछ भी हो जाए

माँ भले कितने ही गुणगान गाए


मैं मान जाऊं ये हो नहीं सकता

प्रण लिया कभी भी न खाऊंगी;

पर वक्त ने करवट ली, 

अब कल की बात कल तक ही रह गई


न जाने कब मैं बड़ी हो गई,

जिन सब्ज़ियों से मैं भागती थी

माँ को अपने पीछे दौड़ाती थी,


अब तो सब खाती भी हूँ

और स्वाद लेकर खाती हूँ।


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