आलू का दादा हूँ पत्तों से भरी हूँ आलू का दादा हूँ पत्तों से भरी हूँ
इस सोच में की कल क्या महँगा होगा, कल क्या महँगा होगा ? इस सोच में की कल क्या महँगा होगा, कल क्या महँगा होगा ?
पेड़ में साँप ठंड में काँँप, नशे में मात अंधेरी रात। पेड़ में साँप ठंड में काँँप, नशे में मात अंधेरी रात।
अपना सपना कहीं खो के रह गया। अपना सपना कहीं खो के रह गया।
मां देखो! गोल चपाती आज दादी लायी पास। मां देखो! गोल चपाती आज दादी लायी पास।
टीवी देखती रही फिर उसके बाद सोने के लिए चली गई। टीवी देखती रही फिर उसके बाद सोने के लिए चली गई।