कल क्या महंगा होगा ?
कल क्या महंगा होगा ?
आयी आयी बिना बुलाये महंगाई
किसी ने बुलाया नहीं क्यों
आ जाती है महंगाई।
सभी के मन में ये चिंता है कैसे बजेगी शहनाई
इसके कारण बहुतों की बारात नहीं आयी
सभी देने लगे दुहाई कहाँ से आयी महंगाई।
मांगे दुल्हेवाले दहेज़ के नाम पर
दुल्हनवालों से उनके जीवन भर कमाई
ये आफत के बारिश कहाँ से आयी महंगाई।
इसने रुपए की कीमत बहुत घटाई
ये कभी कम होती नहीं कभी घटती नहीं
इसने सबका चैन चुराया नीदें भी चुरायीं
न जाने कहाँ से आयी ये महंगाई।
अरे ! दोस्त तुम्हारे जन्मदिन पर बिन
उपहार कैसे दूँ बधाई उफ़ ! ये महंगाई
न दूंगा उपहार तो होगी जग हंसाई
तुम मुझे खिला न पाओगे मिठाई।
अरे ! ये महंगाई कहाँ से आयी
एक पुराने चुटकले की याद आयी
इक व्यक्ति की लड़की की बढ़ती
नहीं थी लम्बाई।
उसने लोगों से पूछा कोई उपाय बताओ भाई
किसी ने कुछ ,किसी ने कुछ दवा बताई
फिर किसी ने भीड़ में से आवाज़ लगाईं।
इसका नाम रख दो तुम" महंगाई "
फिर देखो रातों-रात बढ़ेगी लम्बाई
सुन कर सबको हंसीं आयी.
न जाने कहाँ से आयी महंगाई।
आने वाले हैं त्यौहार ख़ुशी से झूमेगा संसार
याद आ जाती है तब त्योहारों पर महंगाई की मार
महंगाई के कारण उतर जाता है त्योहारों का खुमार
थोड़े में ही काम चला लेते हैं सभी मन को मार।
सब्जी जब महँगी तो लोग खाते रोटी संग आचार
महंगाई के कारण लोगों का बदल जाता है व्यवहार
हज़ार रुपया कीमत बढ़ा कर दस रुपए की छूट की
चालाकी सिखा रही महंगाई कहाँ से आयी महंगाई।
जो होता है हर बार वो होगा इस बार भी पड़ेगी
महंगाई की मार
क्या ये चिंता की बात नहीं क्यों चैन से कटती रात नहीं
इस सोच में की कल क्या महँगा होगा, कल क्या महँगा होगा ?