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Dr Alka Mehta

Inspirational

4.3  

Dr Alka Mehta

Inspirational

अधूरा ज्ञान

अधूरा ज्ञान

2 mins
612


आज का मानव हे प्रभु अभी भी कितना नादान है,

इतना पढ़-लिख कर भी इसका अधूरा ज्ञान है,

क्यों नहीं समझता ये कि पुत्र और पुत्री 

दोनों ही सामान हैं दोनों अपनी ही संतान हैं,


सदियों से होता रहा ये पक्षपात है,

न जाने किस अज्ञानी ने की शुरुआत है,

पढ़ी-लिखी नारी इस उलझन में 

रहकर करवाती गर्भपात है,


पुत्र और पुत्री दोनों ही एक जैसे 

प्यारे हैं क्यूंकि दोनों अपनी ही संतान हैं,

पोथी पढ़ -पढ़ पंडित भया लिया न इतना 

ज्ञान पुत्र और पुत्री हैं दोनों ही सामान,


है सोच मानव की कितनी सीमित और संकुचित,

मानव सोचता है कि पुत्र से बढ़ता वंश है,

सोचता नहीं कि पुत्री भी अपना ही अंश है,

सोच मानव क्या होता अगर तुम्हारी पत्नी 


जो एक कन्या है उसके पिताजी भ्रूण में

ही देते उसे खत्म करवा, 

तो किससे करते तुम विवाह,

तुम तो रहते अविवाहित और निरवंश,


धरती पर भ्रूण-हत्या से अगर पड़ा 

कन्याओं का अकाल,

प्रकृति ले लेगी रूप भयानक और विकराल,

अगर होते रहे यूँ ही गर्भपात तो निश्चित है 


गिर जायेगा पुरुष-नारी का लिंगपात,

क्यों नहीं समझ लेते है कि पुत्र और पुत्री ,

दोनों ही सामान हैं दोनों अपनी ही संतान हैं,

हे मानव सुनो मान जाओ अब भी वक़्त है,


भ्रूण-हत्या करने वालों पर कानून बहुत सख्त है,

न होगीं कन्याएं तो कैसे होगा कन्यादान,

कन्याओं के माता-पिता को है मिला रब 

का वरदान,

हमारे देश में भ्रूण -हत्याओं पर है विश्व-हैरान,


लगता है जैसे पढ़-लिख कर भी है हमें अधूरा-ज्ञान,

क्यों नहीं समझता मानव ये कि पुत्र और पुत्री 

दोनों ही सामान हैं दोनों अपनी ही संतान हैं,


देख लो इतिहास उठा कर कितनी ही कन्याओं 

ने कुल-दीपक बनकर नाम कमाया है,

चाँद तक तो पहुंचा मानव पर समझ पर 

अँधेरा छाया है,

आज की नारी ने कुछ ऐसा कदम उठाया है,


निकली है जब घर से बाहर तो माउंट एवेरस्ट तक 

तिरंगा फहराया है,

उसकी इस प्रगति से तो समझ लो ये बात,

कितना बड़ा अपराध हैं करते जो करवाते गर्भपात,

लातों के भूत अक्सर बातों से नहीं मानते,


गर्भपात करवाने वाले क्या कानून नहीं जानते,

लात है कानून की जब हो जाएगी सख्त,

तभी बदलेगा कन्याओं का वक़्त,

करना है आगाज़ और ये आवाज़ उठानी है,


ये कि पुत्र और पुत्री दोनों ही सामान हैं

दोनों अपनी ही संतान हैं,

ये बात जन-जन तक पहुंचानी है।


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