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Dr Alka Mehta

Abstract

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Dr Alka Mehta

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जीवन है संघर्ष

जीवन है संघर्ष

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जिंदगी है संघर्ष कोई खेल नहीं,

पल-पल बढ़ती इसका कोई मेल नहीं,

जिंदगी एक शोध है,

कभी कहीं प्रतिशोध है,


जिंदगी खेल नहीं उनके लिए

जिनके पास पहनने को कपड़े नहीं

रहने को नहीं मकान,


जिंदगी को अलग-अलग

नज़रिए से देखे हर इंसान,

जिंदगी खेल नहीं उनके लिए

मिलती न जिनको दो जून रोटी,

हर इंसान की जरूरत एक जैसी नहीं होती,


जिंदगी खेल नहीं उनके लिए

जिनकी अपनी कोई पहचान नहीं,

कुछ मिलना आसान नहीं 

दुनिया की मजबूरी है और तकदीर जरूरी है,

तकदीरों के हाथों इंसान जिंदगी का खेल

खेल रहा है,


जो लिखा है तकदीर में सोच कर झेल रहा है,

तकदीर से अपनी लड़ने को जीवन पेल रहा है,

 जिंदगी है संघर्ष कोई खेल नहीं,

पल-पल बढ़ती इसका कोई मेल नहीं,

जिंदगी खेल नहीं उनके लिए जो

देश की सीमा रेखा पर खड़े हुए हैं,


देश की खातिर लड़-मरने को अड़े हुए हैं,

जो देश की खातिर जान अपनी लुटाते हैं,

देश के रक्षक बनकर मातृभूमि का क़र्ज़ चुकाते हैं,

अधिरकारों से ऊपर अपना फ़र्ज़ निभाते हैं,


जो शहीद हो कर दिलों पर छा जाते हैं,

जिंदगी कोई खेल नहीं

फ़र्ज़ निभाने का नाम है 

हमें सिखाते हैं,


जिंदगी होगी खेल उनके लिए जो

दूजों को नीचे दिखाने में समझे अपनी शान,

शायद जीवन में उन्हें कोई मिली नहीं पहचान

दिल में रह गया हो ज्यूँ अरमान,


दूजों पर काबू पाने को समझे अपना अधिकार,

ऐसे लोगों का जीवन है व्यर्थ और बेकार,

ऐसे लोगों से तो भगवान बचाये,

इन नासमझों को कौन समझाए,

कि जिंदगीहै संघर्ष कोई खेल नहीं,

पल-पल बढ़ती इसका कोई मेल नहीं।


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