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पाने को आसमान

पाने को आसमान

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धरती पर जब से आया है इंसान,

कुछ हैं आशाएं कुछ हैं अरमान,

कोशिश तो हर कोई है करता 

पाने को आसमान चाहे हो बौनी उड़ान,


सब-सब के अपने-अपने हैं पंख 

और हैं अपनी-अपनी उड़ान,

कुछ तो ढूंढ रहे हैं अपना आसमान,

माना कुछ मिलना नहीं आसान,

बस काफी नहीं है अरमान,

पर अगर हौसले बुलंद हो तो 

झुक जाये आसमान,

कोशिश तो हर कोई है करता 

पाने को आसमान चाहे हो बौनी उड़ान,


मेरा है अरमान छोड़ जाऊं ऐसे अपने निशान,

जब न रहूं मैं तो ढूंढे मुझे ये जहान,

चिंता करने से नहीं पूरा होता कोई अरमान,

चिंता होती चिता समान

बिन कोशिश मिलता नहीं आसमान,

मुझको तो मालूम हैं मुझमें हैं 

अनंत शक्तियां विद्यमान,

जब तक मुझको है ये ज्ञान,

आज नहीं तो कल मिल ही जायेगा

 मुझको मेरा आसमान,

अरमानों और कोशिशों का जब

 होगा समीकरण समान,

मिल जाता हैं आसमान,

हौसले बुलंद हो तो झुक जाये आसमान,

 कोशिश तो हर कोई है करता 

पाने को आसमान चाहे हो बौनी उड़ान,

 

इंसान अगर कोशिश न करता

छूने को आसमान,

तो उड़ न पाता आसमानों 

में परिंदो के सामान,

मैं जानूं नहीं होगी मुझे थकान,

जब तक न मिलेगा मुझे मेरा आसमान,

मुझको कोई जल्दी नहीं पाने को आसमान,

हौसले बुलंद हैं तो झुक जायेगा आसमान,

कोशिश तो हर कोई है करता,

पाने को आसमान चाहे हो बौनी उड़ान...


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