दूरियां
दूरियां
ये जों दूरियां होती हैं ना
कभी भी किसी भी पल आ जाती हैं
कभी कभी तो हमें
अंदाज़ा भी नहीं होता
कभी कभी छोटी सी बात भी इन
दूरियों का कारण बन जाती है
और जब दूरियां आती है ना
तब सब कुछ बिखर सा जाता है
वो सालों साल एक दूसरे के साथ
रहकर यादों को संजो कर रखना
वो छोटी छोटी सी बातों पर
एक दूसरे का हाथ थाम लेना
कि बेफिक्र रहो तुम्हारे साथ हूं मैं
वो इशारों इशारों में
एक दूसरे की बातों को समझ लेना
वो आंखो ही आंखों में छुपाए गए
आंसुओं में दर्द की कहानी पड़ना,
और सिर्फ इतना कहना,
की बेफिक्र रहो तुम्हारे साथ हूं मैं
वो आंकही बातों को इतने
अच्छे से समझ जाना,
वो कड़कती बिजली की आवाज में
मेरा सहम जाना और तुम्हारा
मुझे गले लगाकर कहना,
कि बेफिक्र रहो तुम्हारे साथ हूं मैं
तो फिर आज ये दूरियां कैसी
हां मैंने माना की अन-बन हुई हैं
हमारी पर ये तो पहले भी हुई है ना
तो क्यों इस बार ये दूरियां इतनी बड़ी हो गई
कि सब कुछ तबाह हो गया
मुद्दतों से हाथो हाथ रखा
रिश्ता भी आज खत्म सा हो गया
दूरियां कितनी भी आ जाए
दिल तो आज भी यही सुनना चाहता है
की बेफिक्र रहो तुम्हारे साथ हूं मैं।
