प्रेम
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अब क्या करे जनाब आँखों की गुस्ताखी है
जो बातें ज़ुबान पर नहीं होती कमबख्त
आँखें बयां कर देती है
अब क्या करे जनाब आँखों की गुस्ताखी है
जो बातें ज़ुबान पर नहीं होती कमबख्त
आँखें बयां कर देती है