लेकिन अब
लेकिन अब
मेरे पापा की बिटिया
सायानी हो गयी,
अपना घर छोड़ के
किसी और घरौंदे की
रानी हो गयी।
वह एक दिन अपने
सिंहासन पर
बैठी सोचने लगी,
अपनी यादों के झरोखों में
चुपके से झाँकने लगी।
कहाँ गए वे
टिमटिमाते हुए सारे,
मेरे ख्वाब जो
मुझे बहुत थे प्यारे।
इन तारों में,
मैं भी एक सितारा बनूँ
और सबसे ज्यादा
जगमगाने वाला बनूँ
लेकिन अब।
कभी कपड़े
समेटते हुए,
कुछ सपने
समेट के रख दिये।
तो सब्जी काटते हुए,
कुछ ख्वाब
कट कर बिखर गये।
कभी बच्चो के शोर में,
इन इरादों का जोश
दब के रह गया।
तो कभी औरों के सपने
पूरे करते करते,
अपना सपना
कहीं खो के रह गया।