फिर चले ही जाना है
फिर चले ही जाना है
पल दो पल की है ये जिंदगी फिर चले ही जाना है,
मुस्कुराकर जी लो आज कल का क्या ठिकाना है,
रूठे हैं जो मना लो कर लो सभी गिले-शिकवे दूर,
क्योंकि पलक झपकते ही हर खेल बदल जाना है,
लोभ, लालच, नफ़रत से कुछ ना मिलेगा जीवन में,
इस जीवन को तो एक दिन सिमट कर रह जाना है,
जीवन मिला है तो मृत्यु भी एक शाश्वत सच्चाई है,
इस कड़वी सच्चाई से एक दिन सभी को गुज़रना है,
रिश्ते-नाते, प्यार, मोहब्बत सब है बस माया जाल,
जो अपना है तेरा वो तो अपना होकर भी बेगाना है,
माटी का बना ये तन एक दिन माटी ही हो जाएगा,
फिर क्या तेरा मेरा है क्या खोना और क्या पाना है,
सहेज कर रखा जिन रिश्तों को दिल में है बसाया,
साथ न जाएगा कोई तेरे सब यहीं पर छूट जाना है,
क्या अपना क्या पराया है सब कर्मों का खेल यहां,
छोड़कर सब कुछ बस कर्म ही साथ लेकर जाना है।
