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Gairo

Abstract

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Gairo

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फरेपान

फरेपान

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वो जले दूध का भगोना

जिसे तुम फरेपान कहती हो

उसमें से आती भीनी भीनी जलने की ख़ुशबू

मुझे तुम्हारी याद दिलाती है।

वो बर्तन मेरी तपती भावनाओं को उफ़ान देता है।

ज़ेहन न हो कभी कभी तो पतीले से बाहर बिखर कर बह भी जाता है।

फिर ग्लानि और स्वयं से कुपितता भी उबल पड़ती है।

पर अब फ़र्श पे बर्बाद, बिखरी पड़ी

इन तरलता सम्पन्न भावनाओं को समेट कर साफ़ भी तो करना है।

नही तो जीवन पे चिपचिपाहट रह जायेगी,

और वही भीमी गंध ततपश्चात बदबूदार यादें बनकर हमें त्रस्त करती रहेंगी।

खैर, ये बातें तो बेहूदा हैं,

क्योंकि मैं जो कहना चाहता हूँवो ये है कि जब भी उस दूध के

पुराने भांडे को देखता हूँ 

तो सारा शब्दकोष प्रज्ञान होने के बावजूद भी 

दूध की तरह उद्वष्पित हो जाता है

और आख़िर मे मुँह से फरेपान ही निकलता है।


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