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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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आज सँवारिए

आज सँवारिए

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आइए ! बीती बातों को बिसारें

अपना आज सँवारें।

जो बीत गया उसे

सुधार तो नहीं सकते

फिर उसी चिंता में क्यों घुलते?

अब तो बस आज की ही सोचिए

कल की कमियों को 

अब से दूर कीजिए,

कल फिर न पछताना पड़े

ऐसा कुछ कीजिए।

जीवन चलने का नाम है

सदा आप भी चलते रहिए,

रात गई बात गई आगे बढ़िए

बेकार की चिंता में डूबे रहने से

कुछ हासिल तो होगा नहीं।

माना कि बीता कल अच्छा नहीं था

उसे सपना समझ भूल जाइए

उठिये, बुलंद हौसले के साथ

हँसते मुस्कुराते हुए

आज को सँवारिए।


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