एक अजीब सी विडम्बना है विधवा की इस समाज में। एक अजीब सी विडम्बना है विधवा की इस समाज में।
क्रूर काल तू निर्दयी है, निर्मम है..निर्मोही है..!! क्रूर काल तू निर्दयी है, निर्मम है..निर्मोही है..!!
क्रूर काल तू निर्दयी है, निर्मम है..निर्मोही है..! क्रूर काल तू निर्दयी है, निर्मम है..निर्मोही है..!
बड़ा दयनीय जीव है मानव! क्रूर नहीं वह तो एकदम भोला है ! बड़ा दयनीय जीव है मानव! क्रूर नहीं वह तो एकदम भोला है !
एक पिता का साया उठ गया विधि का कैसा क्रूर खेल हुआ एक पिता का साया उठ गया विधि का कैसा क्रूर खेल हुआ
बांध ले अपनी हिम्मत को , तिल -तिल कर मरना । अब और नहीं ...अब और नहीं। बांध ले अपनी हिम्मत को , तिल -तिल कर मरना । अब और नहीं ...अब और नहीं।