STORYMIRROR

Indu Tiwarii

Tragedy

4  

Indu Tiwarii

Tragedy

क्रूर काल

क्रूर काल

1 min
341

क्रूर काल तुझे जितनी भी 

विषम संज्ञायें दी जाए 

वो कम हैं


तू निर्दयी है

निर्मम है, निर्मोही है


तूने एक माँ की गोद सूनी

करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा


तू सोच तुझे कौन भला कहेगा

आज चारों ओर कोहराम मचा है


हर माँ रोटी बिलखती ढूंढ रही है

अपने लाल को


तूने एक माँ को माँ कहलाने

के एहसास से वंचित कर दिया


अब से वो किसका इन्तजार

करेगी स्कूल से वापस आने का


अब से वो किसकी पसंद का

खाना बना कर रखेगी


अब से कौन चॉकलेट 

और पिज़्ज़ा मांगेगा


अब से कौन अपनी पसंद की 

ड्रैस न मिलने पर रूठेगा


अब से कौन टी.वी. का

रिमोट ढूंढेगा


अब से कौन उस माँ 

का मोबाइल छुएगा


अब कौन उसे माँ

कह के पुकारेगा


क्रूर काल तू निर्दयी है, 

निर्मम है..निर्मोही है..!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy