STORYMIRROR

Indu Tiwarii

Others

4  

Indu Tiwarii

Others

पार्टिसिपेंट

पार्टिसिपेंट

3 mins
7

न मैं पार्टिसिपेंट हूँ, 

न मुझे गाना आता है..


घर मे कभी अपनी मायूसी 

दूर करने के लिए 

तो कभी अकेलेपन से 

भागने के लिए

गुनगुनाना आता है...


स्वर लय ताल

ढोल मंजरे थाल,

क्या परिभाषा है इनकी

दूर दूर तक अता पता नहीं है मुझको,


मुझे तो कभी बाथरूम में घुस कर 

नल के पानी की आवाज

तो कभी झाड़ू-बर्तन के संगीत के 

साथ सुर मिलाना आता है...


अनजान हूँ सा रे ग म प 

जैसे सात सुरों से

खुद की खुशी में खुशी के 


"आज-कल पाँव जमीं पर नहीं पड़ते मेरे

बोलो देखा है कभी तुमने मुझे उड़ते हुए"


और


मन उदास होने पर गम के,


"अब तेरे बिन जी लेंगे हम,

जहर जिंदगी का पी लेंगे हम"


किसी के दूर चले जाने पर विरह के


"मेरा परदेसी न आया

हो मेरा परदेसी न आया"


और 


आने की उम्मीद में मिलन के,


"तुम आ गए हो नूर आ गया है,

नहीं तो हवाओं से लौ आ रही थी"


थोड़ा स्प्रिचुअल होने पर भजन, 


"राधा रानी हमें भी बता दो जरा

तेरा दीवाना कैसे हुआ सांवरा"


और 


सुबह शाम सुंदर कांड,


"राम दूत मैं मात जानकी,

सत्य शपथ करुनानिधान की"


तो कभी थोड़ा नरवस होने पर 

मुकेश का वॉल्यूम 1 गुनगुना लेती हूं,


"एक वो भी दीवाली थी, एक ये भी दीवाली है

उजड़ा हुआ गुलशन है रोता हुआ माली है"


या फिर


"मैंने दिल दिया था रखने को, 

तूने दिल को जला के रख दिया।"



Rate this content
Log in