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Phool Singh

Abstract Classics Inspirational

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Phool Singh

Abstract Classics Inspirational

कहने वालों का क्या

कहने वालों का क्या

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शब्द हमेशा शोर मचाते, शांत चित्त में, जज्बात उबर कर आते हैं

बिछड़ जाते शरीर के संबंध, पर, आत्मीय रिश्ते न भुलाए जाते हैं।।

प्रेम शाश्वत सही प्रेम की अनुभूति, कोई बिरले ही कर पाते हैं

जिस्मानी प्रेम हमेशा, विछोह की सूली चढ़ जाते हैं।।


नसीहत वालों से बचकर निकलो, वो, फैसले तक बदलवा देते हैंं

कुछ तो कभी कुछ कर नही पाते, कुछ, बहुत बड़ा कर जाते हैं।।

आगे बढ़ते की टांग खींचते, कुछ आत्महत्या तक उकसाते हैं

कुछ आत्मग्लानि से भरे इंसान को, जीवन का मोल बतलाते हैं।।


जलने वालों से क्या नफरत करना, वो कायल आपकी काबलियत के हो जाते हैं

हो सकते नहीं आपके बराबर, करने, निंदा-बुराई लग जाते हैं।।

चाटुकारिता हैं मीठी छुरी, अधिकतर उसमे ही उलझ जाते हैं

कर्म की पुजा होती जहां पर, राज, ढोंगी न वहाँ कर पाते हैं।।


मेहनत-लग्न सदा दिशा हैं देती, मार्गदर्शक भी मिल जाते हैं

काल्पनिक दुनियाँ में घूमने वाले वही के वही रह जाते हैं।।

कहने वालों का क्या, वो तो बहुत कुछ कह जाते हैं

हंस हमेशा मोती चुगता, धोखा, अज्ञानी खा जाते हैं।।


बेवजह क्यों डरते बंधु, काम नियम से ही सब होते हैं

अच्छे-बुरे का फल सबको मिलता, क्योंकि, कर्म से बंधे सब होते हैं।।

हताश-निराश क्यूँ होते बंधु, यहाँ राज भी दफन हो जाते हैं

आज तुझ पर हंसने वाले, कभी न कभी हसीं के पात्र हो जाते हैं।।

 

जोश-होश हैं कितना जरूरी, ये सब अनुभव ही सिखलाते हैं

संगति का प्रभाव हैं कितना पड़ता, हमें बड़े-बूढ़े समझाते हैं।।

खुद पर भरोसा और आत्मशक्ति, मंजिल तक पहुंचाते हैं

हृदय-बुद्धि दोस्त हैं प्यारे, छोटा, हर समस्या को कर जाते हैं।।


जीवन रण एक कठिन डगर, जिसमे अर्जुन-कृष्ण हम बन जाते हैं

कोई हमारा सगा न होता, जीवनरथ के सारथी बन सब अपना घर चलाते हैं।।

करने-कराने वाला ईश्वर बैठा, काम तो बनते-बिगड़ते रहते हैं

जिस दिन उसकी मेहर पड़ेगी, सर अच्छे-अच्छों के झुक जाते हैं।।


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