खुद के लिए जीने लगी
खुद के लिए जीने लगी
जिंदगी जीना तो फिर भी आसान है,
पर थोड़ा खुद के लिए जीना आसान नहीं होता है!!
खुद के लिए थोड़ा जीने के लिए दुनिया से
लड़ना पड़ता है,
ना जाने कितने सवालों का जवाब देना पड़ता है!!
स्वार्थी होने का नाम दे दिया जाता है,
जब तक किसी के लिए कुछ भी करते रहो,
कोई नहीं पूछता है!!
कितनी तकलीफों में जी रहे हैं,
तब कोई सवाल नही होता है,
अपने लिए थोड़ा जीने क्या लगे,
तो सवालों का मेला सा लग जाता है!!
आंखों के आँसू कोई नहीं देख पाता है,
पर अगर लो थोड़ा
खुद के जीने के लिए फैसला,
दुनिया को अखर जाता है!!
कभी कभी सोचती हूं,
ये दुनिया क्यों बनाई भगवान तुमने
जहां खुद के जीने के लिए भी इतना सोचना पड़ता है!!
जीने तो किसी भी हाल में नहीं देते लोग,
ना जाने क्यों किसी की खुशी से दूसरा जलता है!!
खुद के लिए थोड़ा जीने वालों को घमंडी कहा जाता है,
अगर ऐसा है, तो घमंडी ही बने रहना अच्छा लगता है!!
