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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Classics Inspirational

क्रोध की ज्वाला

क्रोध की ज्वाला

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जब भारत "महाभारत" के कगार पर था 

कौरवों और पाण्डवों का तैयार समर था 

श्रीकृष्ण संभावित युद्ध टालना चाहते थे 

शांतिपूर्ण तरीके से कोई समाधान चाहते थे 


तब स्वयं "शांतादूत" बनकर हस्तिनापुर गये 

भयानक विनाश से बचाने को गिरधर गये 

मगर दुर्योधन तो ताकत के मद में चूर था 

भीष्म द्रोण कर्ण की शक्ति का मुख पे नूर था 


शकुनि के षड्यंत्रों पर उसको पूरा विश्वास था 

"मद्र नरेश शल्य" का उससे मिल जाना खास था 

श्रीकृष्ण भगवान को "ग्वाला" कहकर धृष्टता की 

"बंदी" बनाने का हुक्म देकर उसने बड़ी दुष्टता की 


तब क्रोध की ज्वाला से भगवन उबल पड़े 

"दुर्योधन, तूने अब तक किये हैं छल बड़े 

तुझे मैं अपनी शक्ति आज दिखलाता हूं 

मेरा विराट रूप क्या है , तुझे बतलाता हूं" 


तब श्रीकृष्ण ने अपने विराट रूप से सबको चौंकाया 

मगर दुष्ट दुर्योधन तब भी उन्हें समझ नहीं पाया 

अभिमानी कौरव क्रोध की ज्वाला में स्वाहा हो गये 

करोड़ों स्त्रियां विधवा हुईं बच्चे बेसहारा हो गये 


क्रोध की अग्नि बड़ी खतरनाक होती है 

एक पल के आवेश में बहुत सी हानि होती है 

"कामदेव" की धृष्टता ने शिवजी को क्रोधित कर दिया 

एक पल में ही महादेव ने उसे भस्मीभूत कर दिया 


ऐसे कृत्य मत करो जिससे कोई क्रोधित हो जाये 

कुछ ऐसे जतन करो कि क्रोध की ज्वाला शांत हो जाये 

कमजोर लोगों का हथियार होता है क्रोध 

अपनी ही मौत का औजार होता है क्रोध।


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