अग्निपरीक्षा का दर्पण
अग्निपरीक्षा का दर्पण
है जिनका तो सारा जीवन,
अपने देश की माटी को अर्पण,
जिनके जीवन का हर क्षण,
है अग्निपरीक्षा का दर्पण,
ऐसे धरती माँ के दो रत्नों को,
जो दोनों बिल्कुल ही हैं महान,
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान,
क्या क्या करूँ मैं जिनका बयान।
दिन का चैन गँवाते हैं,
रातों को जागते रहते है,
अपने परिवार से दूर ही रहते हैं,
और खुशी खुशी छोड़ देते हैं,
अपने कई अरमान।
मेरे भारत के वीर जवान,
उन्हें दिल से सलाम।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान।
मेरे देश के खेत खलिहानों में,
हर ठंडी में हर गर्मी में,
अपना फर्ज़ खूब निभाते है,
और कर देते हैं,
अपनी नींदें क़ुर्बान।
मेरे भारत के मेहनती किसान,
उन्हें दिल से सलाम।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान।
मेरे देश की सुरक्षा में,
दुश्मनों से उसकी रक्षा में,
नहीं कभी भी पीछे हटते हैं,
और नहीं रखते हैं,
खुद के लहू का कभी ध्यान।
मेरे भारत के वीर जवान,
उन्हें दिल से सलाम।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान।
जीवन भर संघर्ष करते रहते हैं,
फिर भी शिकायत कभी नहीं करते हैं,
धरती माँ से प्यार बेहद ही करते हैं,
और करते हैं हम पर,
कई अनगिनत एहसान।
मेरे भारत के मेहनती किसान,
उन्हें दिल से सलाम।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान।
हम हर त्यौहार मनाते हैं,
हर पल मस्ती में रहते हैं,
पर वो सदैव सतर्क रहते हैं,
और रखते हैं हमेशा,
हथेली पर अपने प्राण।
मेरे भारत के वीर जवान,
उन्हें दिल से सलाम।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान।
ज़ात पात व धर्म भाषा का,
भेद न वो कभी रखते हैं,
सब को एक सा समझते हैं,
और खुशी खुशी कर देते है,
अपनी फसलों का दान।
मेरे भारत के मेहनती किसान,
उन्हें दिल से सलाम।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम
एक जय जवान दूजा जय किसान।
वो हमेशा जागते रहते हैं,
इसलिए हम चैन से सोते हैं,
अपनी पहरेदारी वो खूब निभाते हैं,
और दे देते हैं,
खुद का बलिदान।
मेरे भारत के वीर जवान,
उन्हें दिल से सलाम।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान।
नहीं काम से वो कभी डरते हैं,
मेहनत वो खूब ही करते हैं,
फिर भी कभी नहीं वो थकते हैं,
हर जगह खूब ही दिखते हैं,
उनकी मेहनत के निशान।
मेरे भारत के मेहनती किसान,
उन्हें दिल से सलाम।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान।
युगों युगों से ज़िन्दगी दोनों की,
अग्निपरीक्षा में ही कटी है,
लड़ाई झगड़ों दंगे फसादों में बीती है,
ज़मींदारी, ठेकेदारी,सूखे और तूफानों में पिसी है।
उन दोनों ने ही उत्तीर्ण किया है ,
जीवन का हर इम्तिहान।
धरती माँ के लिए हैं दोनों वरदान,
मेरे भारत के वीर जवान,
मेरे भारत के मेहनती किसान।
दोनों पे है मुझको बेहद ही अभिमान।
सलाम सलाम मेरा दिल से सलाम,
एक जय जवान दूजा जय किसान।
