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Usha Gupta

Classics

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Usha Gupta

Classics

नव जीवन-जीवन के बाद

नव जीवन-जीवन के बाद

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है आस प्रभु मिलन की नवजीवन में जीवन के बाद।

आये कहाँ से हम जाना कहाँ है जीवन के बाद,

हैं अनभिज्ञ हम इस दर्शनशास्त्र से,

बस है सत्य इतना कि हम विच

रते हैं इस धरती पर,

जीते हुये इस जीवन को।

परन्तु हाँ, करते हैं कल्पना धरती के उस पार, क्षितिज के परे,

एक नव जीवन की, जीवन के बाद,

होगी जो ईश्वरीय शक्ति से भरपूर।


है आस प्रभु मिलन की नवजीवन में जीवन के बाद।

न होगा जातियों में बंटा वह संसार, होंगें सभी एक समान,

छूट जायेगा शैतानी मस्तिष्क इस जीवन के साथ,

बहती होगी गंगां प्रेम की, नहाते होंगें उसमें सभी,

हिम्मत न होगी कष्टों की घुसने की नव जीवन में,

न होगी कोई ख़ुशी, न होगा कोई ग़म,

न मित्र कोई न दुश्मन,

जहाँ चाहे विचरेगें स्वच्छन्द, न होगा कोई बन्धन।


है आस प्रभु मिलन की नवजीवन में जीवन के बाद।

होगा नवजीवन में मिलन ईश्वर से पूछेंगें प्रतिदिन प्रश्न नये,

रचना की कैसे आपने इस अद्भुत संसार की?

लाये कहाँ से रंग अनोखे़, सीखी कहाँ से कलाकृति?

कैसे किये विकसित जीव-जन्तु लाखो प्रकार के?

नन्हें से बीज से हो जाता कैसे विकसित पेड़ विशालकाय?

घुमड़ रहे हैं प्रश्न मन मे हज़ार,

कभी तो होगा प्राप्त सौभाग्य प्रभु मिलन का जीवन के बाद।


है आस प्रभु मिलन की नवजीवन में जीवन के बाद।

है यह जीवन भरपूर विषमताओं से,

जी लेंगे सरलता से, जीवन के बाद,

है यह जीवन भरपूर तनावों से,

जी लेगें हो तनावमुक्त, जीवन के बाद,

घिरा रहता है प्रतिदिन यह जीवन नई कठिनाइयों से,

हर लेगें प्रभु हर कठिनाई, जीवन के बाद,

होगा नवजीवन का संचार जीवन के बाद।


हे आस प्रभु मिलन की नवजीवन में जीवन के बाद।


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