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मानसी मिठारी

Classics

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मानसी मिठारी

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दास्ताँ ए फूल

दास्ताँ ए फूल

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कभी किसी के चाहत का प्रतीक हो तुम

तो किसी के नफ़रत का बहाना।


किसी मुस्कुराहट की वजह

तो कई यादों का सहारा।


कभी भगवान तक पहुँचने का जरिया

तो कभी उसकी जुबान।


मसलने पर भी महकते रहते हो

दुआ देना तो कोई तुम से सीखे।


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