खुदगर्ज
खुदगर्ज
खुदगर्ज़ हूं मैं
डर तुझे खोने का नहीं
डर हैं तेरे जाने के बाद
बिना वजूद साँसे लेने का है।
खुदगर्ज़ हूं मैं
मोहब्बत तुझसे नहीं
खुद से करना सिखी हूं
तुझे पा कर।
मेरे जिंदगी का
सबसे क़ीमती ज़ेवर जो है तू
हर रोज पहनूँगी।
आखिर तेरा मोल
बीतते वक़्त के साथ
खुद खर्च हो के चुकाया है|
खुदगर्ज़ जो हूं।

