श्वेत शैल सी शान्त
श्वेत शैल सी शान्त
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पार्वती अवतार में थी वो
शिव को पाने की तपस्या में लीन थी वो
शिव की शिवा बनने को
शिव की अर्धांगी बनने को
तप की अग्नि में मगन थी वो
उस क्षण।।
आई जो खंडित करने उनका तप
जो पूरे संसार से थी अब तलक लुप्त
नाम उसका था तारिकी असुर
शिवलिंग को जो करने चली थी खंडित
खुद ही हो गई थी वो खंडित
उस क्षण।।
पार्वती मां ने अवतार दिखाया था
एक शैल से प्रकट होकर
तारीकी को मार गिराया था
श्वेत सी शांत,पवित्र जो थी
समक्ष "ब्रह्मचरणी" वो थी
उस क्षण।।