STORYMIRROR

Aditi Vats

Abstract Classics

4  

Aditi Vats

Abstract Classics

मंदिर जाने का अभिप्राय

मंदिर जाने का अभिप्राय

1 min
4

लोग पूछते हैं: क्यों नित मंदिर जाते हो?

क्या कारण है, क्या अभिप्राय लाते हो?

​हमारा जवाब सुनो, बड़ा ही सरल है,

यही हमारे जीवन का अमूल्य फल है।

​पहला तो यह कि ईष्ट को देखे बिना,

आँखों को मेरे चैन कहाँ मिलता सजना

​दूजा ये, उनके दर्शन की ही बात है,

जो हर पीड़ा सहने की शक्ति साथ है।

​जब तक न निहारूँ वो मूरत प्यारी,

तब तक ये दुनिया लगती है भारी

​उनका दीदार ही देता है बल,

हो जाए सहज हर मुश्किल का हल


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract