हरी इच्छाएं
हरी इच्छाएं
मानव मन इच्छाओं का भंडार है
वो भण्डार जो कभी ख़तम ना हो
हर क्षण एक नई इच्छा जागती है
मानो ऐसा जैसे वो अभी पूरी हो।।
हरित प्रकृति प्रतीक है
खुशियों का, इच्छाओं का
सबका मिश्रण होकर ही
बने ये साक्षी हमारी मनोकामनाओं का।।
मांगा हमने भी माता से कुछ
मिला कुछ, रह गया अधूरा कुछ
मिल जायेगा जल्दी वो भी
इतना विश्वास है हमें अटूट।।
श्रद्धा, भक्ति का त्योहार
आओ मनाए मिलकर साथ
मन में कोई द्वेष ना हो
प्रेम से रहे सबके साथ।।
