सबके लिए शिक्षा एक समान हे गुरूवर हम सब मिलकर करते तुम्हें प्रणाम। सबके लिए शिक्षा एक समान हे गुरूवर हम सब मिलकर करते तुम्हें प्रणाम।
आंखें तेरे दरस को, कब से तरस रही है। आंखें तेरे दरस को, कब से तरस रही है।
जितना चाहे कर लो अर्जित न उम्र का इसमें कोई आधार जितना चाहे कर लो अर्जित न उम्र का इसमें कोई आधार
मैं पानी हूँ। गर्भ से निकला, कुछ मीठा हुआ हूँ। मैं पानी हूँ। गर्भ से निकला, कुछ मीठा हुआ हूँ।
पिता ही है जिसकी डांट में भी छिपा होता है प्यार बेशुमार पिता ही है जिसकी डांट में भी छिपा होता है प्यार बेशुमार