बालक मुख कर बाँहे फैलाये दोनो एक दूजे को देख मुस्काए। बालक मुख कर बाँहे फैलाये दोनो एक दूजे को देख मुस्काए।
पढ़ी होती कुरान कभी तो राह से भटके ना होते, समझी होती आयतें कभी यूं क़त्ल-ए-आम करते ना होते। पढ़ी होती कुरान कभी तो राह से भटके ना होते, समझी होती आयतें कभी यूं क़त्...
तब ही तो मन चंचल है तब ही तो मन अधीर है तब ही तो मन चंचल है तब ही तो मन अधीर है
सच हुआ हर सपना, क्यों तुम अधीर हो ? सच हुआ हर सपना, क्यों तुम अधीर हो ?
मन विकल मेरा तुम बिन है क्या तुम भी नहीं अधीर सखा? मन विकल मेरा तुम बिन है क्या तुम भी नहीं अधीर सखा?
मज़दूर हूँ, मज़बूर हुआ हुँ मैं। आत्मबल से भरा हूँ, आत्मनिर्भर हुआ हूँ मैं। मज़दूर हूँ, मज़बूर हुआ हुँ मैं। आत्मबल से भरा हूँ, आत्मनिर्भर हुआ हूँ मैं।