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S Ram Verma

Abstract

3  

S Ram Verma

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मनः कृष्णा !

मनः कृष्णा !

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मन ही तो कृष्ण है 

मन ही तो श्याम है

तब ही तो मन चंचल है 

तब ही तो मन अधीर है

वो कहाँ कभी किसी के  

कहने पर ठहरता है

कहाँ किसी के बुलावे  

पर वो साथ चलता है  

वो तो हमारी सांस के 

संग संग ही हम कदम 

होकर उसकी पदचाप 

से अपनी पदचाप 

मिला कर चलता है

वो अविराम चलता है 

मन ही तो कृष्ण है 

मन ही तो श्याम है

तब ही तो मन चंचल है 

तब ही तो मन अधीर है !


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