बचपन वाला आकाश
बचपन वाला आकाश
बालमन और उन्मुक्त गगन
दोनो का परस्पर गहरा संबंध
कितना चंचल होता है बचपन
बिल्कुल वैसे ही जैसे होता है
नभ मे उमड़ते घुमड़ते
मेघों का संगम।
अधीर व्याकुल वो बालवीर
आतुर है आसमाँ को चीर
व्योम में टिमटिमा रहे चाँद
तारों को हाथों से गिन
मुट्ठी मे साथ ले आए बीनकर।
कमरे मे अपने उनको सजाए
चंदा मामा को घर ले आए
मैया को उनके भैया से मिलाए
नन्ही नन्ही आँखों में स्वप्न सजाए।
आजाद परिंदो की तरह वह भी
उन्मुक्त हो इस गगन मे उड़ना चाहे
नीले अम्बर की ओर खड़ा है
बालक मुख कर बाँहे फैलाये
दोनो एक दूजे को देख मुस्काए।।
