ग्रे से गई बुराई दूर
ग्रे से गई बुराई दूर
मां के तप में विघ्न डालने को तत्पर थे असुर
ग्रे रंग की अपनी खूबी जो कर रहा था बुराई दूर।।
चाहे हो वो तारकासुर, चाहे हो तारिकी असुर
माता के तप के तेज़ से असुर भाग रहे थे दूर।।
महिषासुर का वध करने वाली
अपने रंगों के मेल से,कर रही थी बुराई दूर।।
चड मुंड का संहार करके
जगत को बुराई से बचा रही है।।
मन से ग्रे रंग को हटाओ
श्वेत रंग इसमें लेकर आओ।।
बुराई की करके हार
अच्छाई का पहनो तुम हार।।
