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Aditi Vats

Abstract Classics Inspirational

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Aditi Vats

Abstract Classics Inspirational

ग्रे से गई बुराई दूर

ग्रे से गई बुराई दूर

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मां के तप में विघ्न डालने को तत्पर थे असुर

ग्रे रंग की अपनी खूबी जो कर रहा था बुराई दूर।।


चाहे हो वो तारकासुर, चाहे हो तारिकी असुर

माता के तप के तेज़ से असुर भाग रहे थे दूर।।


महिषासुर का वध करने वाली 

अपने रंगों के मेल से,कर रही थी बुराई दूर।।


चड मुंड का संहार करके 

जगत को बुराई से बचा रही है।।


मन से ग्रे रंग को हटाओ

श्वेत रंग इसमें लेकर आओ।।


बुराई की करके हार 

अच्छाई का पहनो तुम हार।।


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