बचपन वाली दिवाली
बचपन वाली दिवाली
आओ लेकर आपको चले
एक नई दुनिया की सैर पर
आपको लेकर चले
बचपन वाली दिवाली पर।।
पांच दिन के इस त्योहार को
संजोए पूरे साल को
मामा के घर आने से
आहट हो जाती थी,
दिवाली के पहले से।।
धनतेरस की बात करें
कैसे सोने चांदी को भूलें
लक्ष्मी जी का आव्हान करें
हर घर में खुशी के फूल खिले।।
छोटी दीवाली की बात करें
बचपन के गलियारे में चलें
इतनी सी याद बाकी है
मां आज भी पांच दीपक लगाती है।।
बड़ी दिवाली राम जी को ले आए
पूरा घर दीपक से जमगाए
लक्ष्मी पूजन पर पूरा परिवार हो साथ
हमेशा अपनो का बने रहे ये साथ।।
अब आई गोवर्धन जी की बारी
वो लगी होड़ उन्हें बनाने की सारी
हाथ जोड़ विनम्र प्रार्थना करे
सबको मलिक बरकत बख्शे ।।
आया भाई दूज का त्योहार
लाए ये सब भाई बहनों को पास
कुछ पल साथ गुजार कर
रखते उन्हें सजों कर उम्र भर।।
हंसते गाते,खेलते कूदते
बेफिक्र से थे ये त्योहार
आओ मिलकर एक बार फिर
मनाए वो बचपन वाले त्योहार।।
