हे ईश्वर
हे ईश्वर
कैसी असामान्य घड़ी आई है
सबकी जो शामत लाई है।
क्या छोटे क्या बड़े यहां पर
सब पर मुसीबत छाई है।
कामकाज सब छूटे हैं
अपने अपनों से भी तो
एक साल से जुदाई है।
बच्चों का बचपन भी सोया है।
मोबाइलों मे खोया है
जाने कब ये मुसीबत जायेगी।
कब सामान्य घड़ी आयेगी
कब दुनिया मे खुशहाली
वापिस फिर से छायेगी।
ईश्वर से ये विनती करते बारंबार
आके धरती पर लो सबको उबार
तुम्हारा ही अब सहारा है।
चहुँ ओर जो अधियारा है
इसको हर सकते बस आप
तोड़ो ना अब हमारी आस।
तुम ही अब इस जग को बचाओ
वापिस हर ओर खुशहाली लाओ।
ईश्वर हो कोई तो चमत्कार दिखाओ
अपनी सृष्टि को खुद ही बचाओ।