STORYMIRROR

वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Abstract

4  

वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Abstract

देश के खातिर

देश के खातिर

1 min
194

देश के खातिर लड़ गए 

वह लोग ओर थे,

वतन पर जान न्योछावर कर गए 

वो लोग ओर थे,


कश्मीर की केसर 

क्यारियों में बो गये 

बारूद के बीज,

जाने कितने लाल खो गए 

माताओं के,


कितनी बहनों की 

कलाइयां सुनी हो गई,

जाने कितनी विधवाओं की

 सुनी हो गई माँग,

तब जा कर मिली हैं 


यह आजादी का दिन,

हो रहा हैं हमें गर्व 

अपनी संस्कृति और संस्कारों पर,

आज हम जो मनाने जा रहे हैं 


स्वतंत्र दिवस,

वह उन शहीदों के 

शहीद होने से हैं,

हम खुशनसीब हैं कि 

आज याद करें उनकी कुर्बानी को,

जो कुर्बान हो गए 

कम उम्र में देश पर दे अपनी जान,

आओ हम मिलकर नाचे गई गाएं,


आज सजी हैं आरती की थाल,

कश्मीर से कन्याकुमारी 

तक हो जय जय भारती,

जिन्होंने दी हैं प्राणों की 

आहुति आज याद कर लो,

पथ पर चले उनके बस याद 

रखो बात याद इतनी,


रहे सदा सलामत ये 

आजादी बस इतनी कर लो 

प्रतिज्ञा आज,

जय हिंद जय भारत !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract