पुनः दस्तक दे रहा है
पुनः दस्तक दे रहा है
चीन वुहान से उठा था एक मंज़र,
पूरे विश्व में दिखा था मौत का मंज़र,
पर..........,
अब भी उठा है वहां से धुंधला मंज़र,
जो हुई थी हम से भूल अब नहीं होगी,
हुई थी जो हवा जहरीली बरसा रही थी कहर,
ऐसी हवाओं का कहर अब हम बरसने नहीं देंगें,
तब एक बूढ़ा बाप अपने जवान बेटे को श्मशान पहुंचा रहा था,
अब हम वो लाशों अंबार नहीं लगने देंगे
जिसने लोगों के घर के घर उजाड़ दिये,
अब वो महामारी को इस हवा में जहर न घोलने देंगें
उस मंझले मंज़र के कहर से हमने बहुत कुछ सीखा है
अब उसे हिंदुस्तान के बर्बादी की लहर न बनने देंगें,
चाहे कोरोना कैसा भी कहर बन कर आजमा ले,
अब हम किसी भी घर में इस कहर का मातम छाने नहीं देंगें,
हम अपनी और अपनों की सुरक्षा को तैयार हर पल रहेंगें,
अब हम वो पीडितों का पहर नहीं बनने देंगें,
जिस महामारी के कहर से धरती थम-सी गई थी,
अब वो ना भयावह वाली बात होने देंगें,
हमे याद है वो.......,
लाशों के अंबार और लंबी कतारें उस श्मशान में,
अब हम वो चिताओं का दौर न दुहराने देंगें,
अब ना चिताओं की वो दहर बनने देंगे !!