जानवर सोचता है
जानवर सोचता है
जानवर सोचता है 'काश'
मुझे भी मनुष्य जैसा सुन्दर बनाया होता
मुझे न चींटी, न हाथी, न बंदर बनाया होता 'काश'
मुझे भी सोचने समझने की शक्तियों से रचाया होता 'काश'
मेरे लिए भी बड़ा महल बनाया होता
पर कभी -कभी सोचता हूँ
इंसान बनकर मैंने भी तो
जानवरों को खाया होता
मैंने भी तो कभी भूख से, कभी प्यास से, कभी लाठी से
जानवरों को सताया होता
कभी -कभी सोचता हूँ
'काश' धरती पर सिर्फ जानवर ही बनाया होता
इंसान ने तो स्वार्थी बनकर
जानवर का सर धड़ से हटाया है
जानवर वफादार होकर भी
सदियों से कुत्ता ही कहलाया है 'काश'
इंसान तू जानवरों के सुख दुःख को समझ पाया होता
मूक रहने वाले ने भी तुझे हाल- ए- दिल सुनाया होता.,..
