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Adyanand Jha

Others

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Adyanand Jha

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अंधी आधुनिकता

अंधी आधुनिकता

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जिंदगी श्वेत श्याम से रंगीन हो गई है,

हसीनों का हुस्न कुछ और भी रंगीन हो गई है

जिस्म से कपड़े गायब हैं पड़,

आंखों में चढ़े चश्मे का रंग बहुत गाढ़ा हैं,

शायद बजट का चक्कर लगता हैं दोस्तों

इसलिए तो कही कम तो कही ज्यादा हैं।

जिंदगी श्वेत श्याम से रंगीन हो गई है,

हसीनों का हुस्न कुछ और भी रंगीन हो गई है


जिस्म खु़द अपना दिखाती हैं और

सवाल हमारे नियत पर करती हैं, अरे

हमने तो हया अकबर को उधार दी है पर

लगता हैं आपका भी बिपासा से कोई राब्ता हैं।

जिंदगी श्वेत श्याम से रंगीन हो गई है,

हसीनों का हुस्न कुछ और भी रंगीन हो गया है


हया जो कुछ हमसे भी दिखाई होती

तो बेहयायी हम भी ना करते कसम से

पर घुटने से ऊपर पहने कपड़ों में देख

सिर्फ़ सैंडल का ही रंग कैसे बताते उनको।

जिंदगी श्वेत श्याम से रंगीन हो गई है,

हसीनों का हुस्न कुछ और भी रंगीन हो गई है


खता की है जो हमने तो गुनहगार वो भी कम नहीं

देखते हैं गर हम उनको तो दिखाती वो भी कम नहीं

कौन कहता हैं कपड़ों की मजबूती कम हो गई दोस्तों

गौर से देखो तो सही उसपर तनाव कितना भरी है।

जिंदगी श्वेत श्याम से रंगीन हो गई है,

हसीनों का हुस्न कुछ और भी रंगीन हो गई है।

जिंदगी श्वेत श्याम से रंगीन हो गई है,

हसीनों का हुस्न कुछ और भी रंगीन हो गई है।


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