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S N Sharma

Romance

4  

S N Sharma

Romance

माना दिल के होंठ सिले हैं

माना दिल के होंठ सिले हैं

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साथ तुम्हारे सदा रहे थे हमसाथ तुम्हारे सदा चले हैं।

रहे जुदा हम एक दूजे से दो पाट नदी के कहां मिले हैं।

भाव तुम्हारे भाव हमारे नदी भावनाओं की बहती है।

सूनी आंखें तेरी मेरी बिन कुछ बोले ताकती रहती हैं।

इस बेजान नगर में बोलो कहां प्रणय के कमल खिले हैं

रहे जुदा हम एक दूजे से दो पाट नदी के कहां मिले हैं।

न तुम कुछ बोले न बोले हम पहल नहीं कोई कर पाया।

व्यर्थ समय जीवन का खोया बोलो हमने भी क्या पाया।

मेरे सूरज आ भी जा अब बिन सूरज दिन कब निकले है।

रहे जुदा हम एक दूजे से दो पाट नदी के कहां मिले हैं।

बहुत गई थोड़ी बाकी है तुम्हें पुकारे दिल आ भी जाओ।

प्यार मुझे कितना करते हो आकर मुझको बतला जाओ।

बिना कहे दिल सब सुन लेगा माना दिल के होंठ सिले हैं।

रहे जुदा हम एक दूजे से दो पाट नदी के कहां मिले हैं।


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