यह दुनिया इश्क में जब जब,,,
यह दुनिया इश्क में जब जब,,,
ये दुनिया इश्क में जब जब वफा की बात करती है।
जिगर में लहू बन के बहते प्यार की बात करती है।
जुवां खामोश रहती है तो रहने दो यह क्या कम है।
कि आंखें अब भी आंखों से बहुत सी बात करती हैं।
तेरे कजरारे नयनों ने जब मेरा नाम ले मुझे पुकारा
मेरी आंखों से तब तब प्यार की बरखा झरती है ।
दिल की बेताबी ने जब जब लेना चाहा तेरा सहारा
तेरी तिरछी नज़र बांहों में ले लेने की बात करती है।
बुला रही आंखों की झीलें मुझे डूब कर पर उतरने
इश्क में दिलो जां लुटाने की मेरी हसरत संवरती है।

