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Sudershan kumar sharma

Romance

4  

Sudershan kumar sharma

Romance

फैसला

फैसला

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मत फैसला कर, सिक्का हवा में उछाल के,

ढूंढ ले पहले जवाब मन के ख्याल के। 


पत्थर दिलों से दोस्ती अगर करनी है,

घर के आईनों को रखना खुद ही संभाल के। 


अपनाया जिसे भी अब तक, अपना नहीं हुआ,

रिश्ते बनाना आगे से यार बहुत संभाल के। 


मत खेलना अपने दिल के राज ज्यों ही अपना समझ कर हर किसी से, 

होते नहीं सभी दोस्त अपने ख्वाल के। 


सपने दिखा कर छीन लेते हैं नींद हर किसी की,

खुद सो जाते हैं, दुसरों को मुश्किल में डाल के। 


मत उड़ना किसी के सहारे आसमां की उँचाई तक,

फैंक देंगे आधे ही आसमान से पछाड़ के। 


काटता है साँप एक दिन जरुर,

परखा नहीं हो जिसे प्यालियों दूध पिला के। 


सोच समझ कर बना दोस्त हर किसी को सुदर्शन,

जपते हैं राम, राम मुख से, रखते हैं छूरी बगल में संभाल के। 



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