अलादीन का चिराग
अलादीन का चिराग
काश! मुझे भी कोई अलादीन का चिराग मिल जाता,
सारी समस्याएं मेरी वो पल भर में ही सुलझा जाता।
ना रहती कभी चिंता मुझे होमवर्क करने की,
देता मैं हुक्म उसे पल में सारा काम मेरा वो कर जाता।
जब ना होता मन स्कूल जाने का, सोया रहता मैं
तान चादर, मेरे बजाए अलादीन ही स्कूल चला जाता।
सुनकर के ख्वाहिश मुन्ने की बोले यूं पापा उसके,
तेरी सारी टाॅफी और चाकलेट भी तो अलादीन ही खा जाता।
होकर के बड़े तुम्हें शादी भी तो करनी है,
शादी के खर्च के लिए नौकरी भी तो चाहिए ना,
शादी तेरी जगह अलादीन की हम करवा देंगे,
सोचो बिन पढ़े-लिखे तुम्हें भला कोई नौकरी कैसे दे देगा।
खनक माथा मुन्ने का छोड़ आलस उठ गया,
झट से होकर तैयार वो स्कूल के लिए निकल गया,
ना समझाते पापा तो, पड़ती मार स्कूल में,
क्योंकि आज फिर वो लेट हो जाता,
आलस अब नहीं मारूंगा, समय पर स्कूल जाउंगा।